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1976 से लेकर अब तक लगातार चढ़ते रहे सुब्रत राय सफलता की सीढ़ियां, 14 नवंबर को ली अंतिम सांस, जाने उनकी सफलता की कहानी

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सहारा इंडिया परिवार के फाउंडर सुब्रत राय का 75 वर्ष की उम्र में निधन हो गया उन्होंने 14 नवंबर 2023 की रात 10:30 बजे अंतिम सांस ली सहारा ग्रुप की ओर से बयान जारी कर बताया गया कि सुब्रत राय का कार्डियो अरेस्ट के बाद मंगलवार देर रात निधन हो गया वह हाइपरए टेंशन और मधुमेह जैसी बीमारियों से जूझ रहे थे उनका स्वास्थ्य लगातार खराब होता जा रहा था जिसकी वजह से उन्हें कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती किया गया था।

बिहार के अररिया में जन्मे और बिजनेस में जाना माना नाम बने सुव्रत राय

बिहार के अररिया जिले में 10 जून साल 1948 को सुब्रत राय का जन्म हुआ था वह बिजनेस का जाना माना नाम जिन्होंने कुछ ही समय में एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की, जो फाइनैंस,रियल स्टेट,अस्पताल और मीडिया जैसे तमाम अलग-अलग क्षेत्र में फैला हुआ है। सुब्रत राय ने 1978 में सहारा इंडिया परिवार समूह की स्थापना की थी। सहारा इंडिया परिवार यानी कि जिसका हिंदी में मतलब है सहारा मतलब मदद रिक्शा चलाने वाले, टायर की मरम्मत करने वाले, कपड़े धोने वाले, रोजमर्रा के सामान बेचने वाले लोगों से रोजाना ₹20 की छोटी राशि इकट्ठा किया करते हैं सहारा भारतीय हॉकी टीम को भी प्रायोजित करता है और फॉर्मूला वन रेसिंग टीम, फोर्स इंडिया में उसकी हिस्सेदारी है

यहीं से शुरू हुआ था सुब्रत रॉय का सफर

सुब्रत राय की यात्रा गोरखपुर की सरकारी तकनीकी संस्थान में मैकेनिक इंजीनियरिंग की शिक्षा के दौरान शुरू हुई। साल 1976 में संघर्षरत चिट फंड कंपनी सहारा फाइनेंस का उन्होंने अधिग्रहण किया था, या यूं कहे कि उन्होंने खरीद लिया था। शुरुआती दौर में उन्होंने गोरखपुर में व्यवसाय में कदम रखा 1978 तक उन्होंने इसे सहारा इंडिया परिवार के नाम में बदल दिया था। जो कुछ समय पश्चात भारत के सबसे बड़े बिजनेस ग्रुप में से एक बना। राय के नेतृत्व में सहारा ग्रुप ने कई अन्य व्यवसाय में विस्तार किया सहारा समूह ने 1992 में हिंदी भाषा का समाचार पत्र राष्ट्रीय सहारा भी लॉन्च किया। 1990 के दशक के अंत में पुणे के पास महत्वाकांक्षी एमबी वैली सिटी परियोजना शुरू की और सहारा टीवी के साथ टेलीविजन क्षेत्र में भी प्रवेश किया। जिसे बाद में सहारा वन नाम दिया गया 2000 के दशक में सहारा ने लंदन के ग्रॉस बैनर हाउस होटल और न्यूयॉर्क शहर के प्लाजा होटल जैसे प्रतिष्ठित संपत्तियों के अधिग्रहण के साथ अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बटोरी थी

बिजनेस के क्षेत्र में अपनी धाक जमाने वाले सुब्रत राय को इस बीच कानूनी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा साल 2014 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड सेबी के साथ एक विवाद के संबंध में अदालत में उपस्थित होने में विफल रहने के कारण उन्हें हिरासत में लेने का आदेश दिया जिसकी वजह से उन्होंने एक कानूनी लड़ाई भी लड़ी जिसमें राय को तिहाड़ जेल में समय भी बिताना पड़ा और बाद में उन्हें पैरोल पर रिहा कर दिया गया था दरअसल यह पूरा मामला सेबी के सहारा से निवेशकों के अरवो रुपए वापस करने की मांग को लेकर था।
सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए सहारा सेबी रिफंड खाता भी स्थापित किया है।
लेकिन इन सब के बीच भी सुब्रत राय का जो करियर था उस पर कोई फर्क नहीं पड़ा या यू कहे कि उन्हें इस दौरान भी बिजनेस में योगदान के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया, उन्हें इंडिया टुडे की भारत की सबसे शक्तिशाली लोगों की सूची में भी नियमित रूप से शामिल किया गया था

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