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मंकी सफारी ही बंदरो की समस्या का एक मात्र समाधान

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बंदर पेड़-पौधे भी कर रहे नष्ट, मनुष्यों का जीना भी किया दुश्वार

मथुरा( राजकुमार गुप्ता) सब का सपना:- मथुरा-वृंदावन में बंदरों के उत्पात के कारण बड़ी संख्या में पेड़-पौधे नष्ट हो रहे हैं। यही कारण कि मंदिरों, घरों और पार्कों में पेड़ों को बचाना लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है। वृंदावन के राधावल्लभ मंदिर घेरा सहित घरों में पेड़ों को बंदरों से बचाने के लिए लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। वहीं पार्कों में पेड़ों को बचाने के लिए निगम कर्मचारियों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।मथुरा के भगत सिंह पार्क एवं वृंदावन के गांधी पार्क सहित दो दर्जन पार्कों में लगे पेड़-पौधों को बंदरों से बचाना निगम कर्मचारियों के लिए मुश्किल हो रहा है।

बंदरों के कारण रात दिन पेड़ों की रखवाली करनी पड़ रही है। इसके बावजूद मौका मिलते ही बंदर पेड़ों को नष्ट कर रह हैं। वहीं घरों में लगे पेड़-पौधों को बचाना भी लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है। नतीजतन घरों और मंदिरों से पेड़ कम होते जा रहे हैं।हरियाली से लगाव रखने वाले लोग घरों में बंदरों से पेड़ों के बचाव के लिए लाखों रुपये खर्च कर लोहे का जाल लगा रहे हैं। बंदरों से पेड़ों को बचाना मुश्किल हो रहा है। साथ ही गली मोहल्लों में भी बंदरों ने अपना आतंक कायम कर रखा है लोग घरों से निकलते वक्त भय महसूस करते है, सबसे ज्यादा बंदरो से महिला और छोटे बच्चों को ज्यादा डर लगता है।बॉक्सलोगों की मांग- बने मंकी सफारी1-कथावाचक लालजी भाई शास्त्री का कहना है कि नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी से यह समस्या लंबे समय से बनी है।

सांसद हेमा मालिनी ने जो चुनाव के दौरान मंकी सफारी बनाकर समस्या के निदान का वादा किया था उसे पूरा करें।2- समाजसेवी यज्ञदत्त चतुर्वेदी ने बताया कि नगर में बंदरों की समस्या से हर कोई परेशान है। इस समस्या का निदान करने के बजाय जनप्रतिनिधियों ने इसे चुनावी मुद्दा बना लिया है। वर्षों पुरानी समस्या का निदान के लिए जन आंदोलन की जरूरत है।3- गोपाल चतुर्वेदी ने बताया कि बंदरों के उत्पात के कारण बच्चों को घर से निकलना दुश्वार हो रहा है। बच्चों को स्कूल बस तक छोड़ने के लिए परिजनों को डंडा लेकर जाना पड़ता है। यह एक बड़ी समस्या है। इसका निदान होना चाहिए।

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