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उत्तर प्रदेश

जगद्गुरु श्री कृष्ण कन्हैया पदरेणु से महारास लीला श्रवण कर भाव-विभोर हुए श्रोता

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मथुरा (राजकुमार गुप्ता) सब का सपना:- वृन्दावन, छटीकरा मार्ग स्थित कृष्णा फनलैंड में चल रही सनातन संस्कृति समागम एवं श्री मद भागवत कथा के षष्ठ दिवस पर व्यासपीठ से क्रांति दूत ब्रज रत्न बृजवासी जगद् गुरू श्री कृष्ण कन्हैया पद रेनू ने महारास लीला, मथुरा गमन, कंस वध एवं भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी विवाह की कथा श्रवण कराई।साथ ही भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणि विवाह की अत्यंत दिव्य व भव्य झांकी सजाई गई। साथ ही विवाह से संबंधित बधाईयों का संगीत की मृदुल स्वर लहरियों के मध्य गायन किया गया।

व्यासपीठ पर आसीन जगद् गुरू श्री कृष्ण कन्हैया पद रेणु ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की महारास में सम्मिलित ब्रजगोपियां कोई साधारण स्त्रियां नहीं थी। वो पूर्व जन्म के महान तपस्वी ऋषि-मुनि थे। जिन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को अपने पति के रूप में पाने के लिए अनन्त युगों तक कठोर तपस्या की थी। इसीलिए ब्रजगोपियां भी भगवान श्रीकृष्ण के समान ही परम आनंदमयी व चिन्मयी थीं। पूज्य महाराजश्री ने महारास लीला का प्रसंग श्रवण कराते हुए कहा कि महारास लीला भगवान श्रीकृष्ण की एक अद्भुत व परम रसमयी लीला है।

जिसे उन्होंने असंख्य ब्रजगोपियों के हृदय की अभिलाषा को पूर्ण करने लिए व अभिमानी कामदेव के अभिमान को नष्ट करने के लिए श्रीधाम वृन्दावन के यमुना तट पर शरद पूर्णिमा की रात्रि को किया था। जिसमें उन्होंने अनेकों रूपों में अपनी बांसुरी बजाकर संपूर्ण विश्व को ब्रजमंडल की ओर आकर्षित किया। लीला पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण की महारास लीला के दर्शनों के लिए समस्त देवी-देवताओं के साथ भगवान शिव भी ब्रज गोपी का स्वरूप धारण कर श्रीधाम वृन्दावन पधारे थे। महोत्सव में पंडित श्री बिहारी लाल वशिष्ठ जी ने यमुना प्रदूषण और पर्यावरण पर प्रकाश डाला, श्री जगदीश गुरू जी, गोविंद जी, राहुल द्विवेदी जी, उदयन कुलश्रेष्ठ, दिनेश कौशिक, विकल्प शुक्ला, सुरेश चंद शुक्ला, गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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