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सरकार ने लगाया ताला, बस मालिकों ने कर दिया अब खेल निराला

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समय बदला तरीका बदला लोडिंग वाहनों का समान प्राइवेट बसों से किया जा रहा इधर से उधर

टूरिस्ट बसों का परमिट लेकर राजस्व को दिया जा रहा करोड़ों का नुकसान

अनेकों जिलों से होकर गुजरती है यह बसे, अधिकारी मौन

हर रोज करोड़ों रुपए का सामान इन बसों से होता है इधर से उधर टैक्स के नाम पर जीरो

बदायूं, संभल, रामपुर, बरेली, मुरादाबाद, बिजनौर से होकर अमरोहा के गजरौला व जनपद हापुड़ से होते हुए पहुंचती है दिल्ली

अमरोहा (सब का सपना):- डग्गा मार वाहनो को बंद करने के लिए सरकार ने लाखों जतन किए हैं इतना ही नहीं सरकार के द्वारा समय-समय पर कहा गया की रोड पर जाम नहीं लगने दिया जाएगा। रोड पर डग्गा मारी नहीं करने दी जाएगी लेकिन यह क्या जहां से रोडवेज बस निकलती है उसी रोड पर रोडवेज बस के किराए से कम रुपए में आपको अब प्राइवेट बस लेकर जाती है और रोडवेज बस से कम समय में आपको आपके स्थान तक पहुंचा देती है। हां यह बात अलग है कि रोडवेज बस में बैठने के बाद आप अपने आप को सुरक्षित महसूस करेंगे लेकिन प्राइवेट बस में बैठने के बाद आप घर वापस जा पाएंगे या नहीं इसकी गारंटी नहीं है।

हाल ही में डबल डेकर बस डायल 112 को ओवरटेक करते हुए सामने से आ रही रोडवेज बस से टकरा गई। यह मामला कहीं और का नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के जनपद संभल का है जहां रोडवेज बस वाले की केवल इतनी सी गलती थी कि वह अपनी बस को रोड पर सही दिशा में लेकर चल रहा था लेकिन प्राइवेट बस डबल डेकर के द्वारा पुलिस की गाड़ी को ओवरटेक करते हुए रोडवेज में टक्कर मार दी गई। इसके बाद का आलम आप सभी समझते होंगे।

आम आदमी का ओवर स्पीड में चालान कट जाता है। जगह-जगह पर पुलिस चेकिंग करते हुए दिखाई देती है। और आम आदमी कार में बगैर सीट बेल्ट के मोटरसाइकिल पर बगैर हेलमेट के यदि गलती से भी दिखाई दे गया तो समझो कि उसका चालान कटना निश्चित तय है लेकिन यह अच्छी बात है की आम जनमानस को उसकी सुरक्षा के लिए सरकार के द्वारा चेकिंग अभियान चलाया जाता है।

सुरक्षा अभियान चलाया जाता है सैफ चलें सुरक्षित रहे बताया जाता है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ प्राइवेट बसें ओवर स्पीड के साथ चलती हैं। अधिकारियों के द्वारा इन बसों की तरफ शायद ही निगाहें उठाकर देखा जाता हो या यू कहें की कार्यवाही के नाम पर दो-चार बसों पर कार्रवाई कर इतिश्री कर दी जाती है। आखिर ऐसा कौन सा लालच है जिसकी वजह से यह बसें सरकार को राजस्व का नुकसान देने में कामयाब हो रही है? और अधिकारी इन बसों पर कार्रवाई करने के लिए तैयार ही नहीं है?

वहीं दूसरी तरफ लोडिंग वाहनों का सामान इन बसों के द्वारा देश की राजधानी दिल्ली जैसी जगह से यूपी में बगैर टैक्स के लाया जा सकता है इतना ही नहीं इन बसों की बॉर्डर पर भी शायद ही कोई चेकिंग होती हों। इसीलिए इन बसों में एक नंबर ही नहीं बल्कि दो नंबर के भी काफी सामान इधर से उधर किये जा सकते हैं वहीं दूसरी तरफ लोडिंग वाहन अब धीरे-धीरे पतन की ओर जा रहे हैं।

इसका मुख्य कारण है की लोडिंग वाहन का सामान भी बसों के द्वारा इधर से उधर लाया और ले जाया जा रहा है। जो सामान को लोडिंग वाहन उदाहरण के तौर पर दस हजार रुपए में लेकर जाता है उसी समान को यह बसें मात्र पांच हज़ार में लेकर चली जाती हैं। जिससे कि व्यापारी बगैर किसी टेंशन के इन बस मालिकों को सामान पहुंचाने का ठेका देने का कार्य करते हैं और अपना टैक्स भी बचा लेते हैं। वहीं दूसरी तरफ लोडिंग वाहन लगातार घाटे की तरफ जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या टैक्स चोरी को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं या फिर केवल इतिश्री की जा रही है।

समझने वाली बात यह है कि बदायूं, संभल से होते हुए गजरौला (अमरोहा) हापुड़ से यह बस सामानों को लेकर दिल्ली पहुंच जाती हैं वहीं रामपुर, बरेली, मुरादाबाद, अमरोहा, गजरौला, हापुड़ से होते हुए भी बसें दिल्ली पहुंचती हैं। बिजनौर, चांदपुर, धनोरा होते हुए भी बस गजरौला से हापुड़ होते हुए दिल्ली पहुंचती हैं। इन बसों में सवारियों को तो रोडवेज बसों के रूट से बैठाया और उतरा ही जाता है लेकिन वही इन बसों के अंदर और छत पर अगर आप देखेंगे तो न जाने कितना सामान अवैध तरीके से इधर से उधर लाया और ले जाया जा रहा है लेकिन जब इस विषय में आप अधिकारियों से बात करेंगे तो उनका जवाब केवल आपको गोल मटोल ही मिलेगा। हालांकि सूत्रों के माध्यम से जानकारी मिलती रहती है कि इन बसों से प्राइवेट लोगों के माध्यम से अवैध तरीके से उगाही की जाती है और उस धन का हिस्सा बटवारा भी किया जाता है। अब देखना यह होगा कि सब कुछ यूं ही चलता रहेगा या फिर कुछ बदलेगा भी?

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