अपराध
चंबल की पहली महिला डकैत की कहानी
Chambal_kay_daku अपने समय में अपने गिरोह की कमान स्वयं अपने हाथों में संभाली और पुलिस से लगभग आधा सैकड़ा मुठभेड़ होने के बाद भी उसने अपने जीते जी कभी भी अपने गिरोह को पुलिस के हाथ नहीं लगने दिया यह कहानी है उस महिला की जिसका एक हाथ पुलिस मुठभेड़ में पुलिस की गोली से कट गया था
डाकू सुल्ताना का नाम तो आपने सुना होगा
डाकू सुल्ताना का नाम तो आपने सुना ही होगा डाकू सुल्ताना चंबल का वह अपराधी जिनके नाम से चंबल की घाटी थरथर कांपने लगती थी उस समय तक चंबल के विहड़ में केवल मर्द डकैत ही हुआ करते थे लेकिन चंबल का वह डकैत सुल्ताना क्षेत्र में जाता और लूट करता इसी दौरान सुल्ताना डकैत की नजर एक नाचने गाने वाली पर पड़ जाती है
नाचने गाने वाली को सुल्तान ने बनाया मोहरा
जिसका नाम था गौहर बानो, गौहर बानो बेहद गरीब परिवार में जन्मी और अपने परिवार का लालन-पालन करने के लिए नाचने गाने का काम करने लगी
यहीं से गौहर बानो का नाम पड़ा था पुतलीबाई
इसी वजह से गोहर बानो का नाम पुतलीबाई पड़ा पुतलीबाई को देखकर सुल्ताना डाकू के मन में एक अलग ही जिज्ञासा हुई क्योंकि पुतलीबाई की कद काठी देखकर और रंग रूप देखकर सुल्ताना के मन में उसके प्रति प्रेम जागृत हुआ सुल्ताना डाकू चंबल के विहड़ में पुतलीबाई को नाचने गाने के लिए बुलाता और अपने गिरोह के लोगों का मन बहलाता
पुतलीबाई को भी होने लगा था डकैत सुल्तान से प्यार
समय के साथ-साथ पुतलीबाई को भी डकैत सुल्तान से प्यार होने लगा एक दिन वह सब कुछ त्याग कर चंबल के विहड़ में सुल्ताना डाकू के साथ रहने के लिए चली गई समय गुजरता गया कुछ समय पश्चात डाकू सुल्ताना की मृत्यु पुलिस एनकाउंटर में हो गई।
अब शुरू होती है पुतलीबाई के डकैत बनने की कहानी
पुतलीबाई ने डाकू सुल्ताना की जगह लेकर गिरोह की सरदार बनी और 1950 से लेकर 1956 तक चंबल की घाटी में पुतलीबाई का आतंक रहा पुतलीबाई पहली ऐसी महिला डकैत थी जिसने गिरोह के सरदार के रूप में सबसे ज्यादा पुलिस मुठभेड़ की और अपने गैंग को सुरक्षित स्थान तक लेकर पहुंची बताया जाता है कि पुलिस मुठभेड़ में ही पुतलीबाई का एक हाथ कट गया था लेकिन उसके बाद भी पुतलीबाई एक हाथ से ही राइफल चलती और 20-20 जवानों के साथ एक साथ मुठभेड़ करती सूत्र तो यह बताते हैं की सुल्ताना के मरने के बाद गिरोह के काफी सदस्यों ने पुतलीबाई से शादी करने का प्रस्ताव रखा था लेकिन पुतलीबाई ने शादी करने से साफ इनकार कर दिया था 23 जनवरी 1958 को शिवपुरी के जंगलों में पुलिस मुठभेड़ में पुतलीबाई को मार गिराया गया लेकिन पुतलीबाई आज भी अपने साहस और निडरता के बल पर जानी जाती है
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