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अपराध

जिसके नाम से थर्राता था चंबल वह अब बन गई संन्यासन

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chambal ki mahila dacoit

जिसके नाम से चंबल कांपता था वह जिसके गिरोह के ऊपर कभी यूपी और एमपी में सैकड़ो की संख्या में केस दर्ज थे अब जेल में रहकर कैदियों को पढ़ाती है गीता रामायण का पाठ

आज कहानी उस महिला डकैत की है जिसकी कभी चंबल के विहड़ में धाक हुआ करती थी 200 की संख्या में लगभग केस दर्ज थे लगातार पुलिस से भागती रही आज एक ऐसी महिला डकैत की कहानी हम आपको बताएंगे जिसका जन्म उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के टिकरी गांव में 1964 में एक हुआ, जन्म के बाद से उसका नाम रखा जाता है कुसुमां। जैसे-जैसे कुसमा बड़ी होती है वैसे ही शिक्षा की तरफ रुझान बढ़ता है और वह स्कूल आना जाना शुरू कर देती है लेकिन कुछ वर्षों बाद ही उसे एक लड़के से प्यार हो जाता है और वह अपने प्रेमी माधव मल्लाह के साथ दिल्ली भाग जाती है लेकिन पिता की शिकायत पर उसे दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया जाता है बाद में माधव मल्लाह पर डकैती का कैसे लगता है और वह जेल चला जाता है इसी दौरान कुसुमा के पिता कुसुमां की शादी केदारनाथ नाई से करवा देते हैं, कुसुमां केदारनाथ नई के साथ अपनी ससुराल चली जाती है लेकिन जो कुसमां नाइन का प्रेमी हुआ करता था माधव मल्लाह,वह चंबल के एक कुख्यात डकैत का साथी था जैसे ही जेल से माधव मल्लाह छूटता है तो उसे पता लगता है कि कुसमा नाइन की तो शादी कर दी गई है और वह शादी की खबर पानने के बाद गैंग के साथ कुसुम के ससुराल पहुंचता है और उसे वहां से अपहरण कर लेता है आपको यहां पर बता दें कि माधव उसी विक्रम मल्हाह का दोस्त था जिसके चर्चे कभी फूलन देवी के साथ जुड़े थे,

लेकिन इसी दौरान विक्रम मल्हाह की गैंग में रहते हुए कुसुमां को फूलन के जानी दुश्मन लाला राम को मारने का काम दिया जाता है, लेकिन फूलन से अनमन होने के कारण बाद में कुसमा नाइन लालाराम के साथ ही जुड़ जाती है, फिर विक्रम मल्लाह को ही मरवा देती है और यह वही कुसुमा नाईन है जिसने कभी लालाराम के साथ रहते हुए सीमा परिहार का भी अपहरण किया था जो बाद में महिला डकैत के रूप में उभर कर सभी के सामने आई और सीमा परिहार चंबल के डकैतों में भी शुमार रही। धीरे-धीरे समय गुजरता है और साल 1981 आता है साल 1981 वह साल था जब वेहमई हत्याकांड को अंजाम दिया गया था बेहमई कांड को अंजाम फूलन देवी के संरक्षण में दिया गया था और यह वही कांड था जब फूलन देवी ने अपने आप को पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था जब फूलन देवी ने अपने आप को सरेंडर कर दिया तो कुसुमां नाईन का विहड़ में दबदबा बढ़ने लगा। कुसमा नाइन लूट,डकैती और हत्या जैसी घटनाओं को लगातार अंजाम देती रही कुसुमां डकैत वही डकैत थी जो अपनी क्रूरता के लिए कुख्यात हुआ करती थी जिसके मन में जरा सी भी दया नहीं थी बताया जाता है कि कुसुमां कभी किसी को जिंदा जला देती थी तो किसी की आंख भी निकाल लेती थी कुसुम का नाम 1984 में सुर्खियों में तब आया था जब उसने वहमई कांड की तर्ज पर एक साथ 15 मल्लाहो को गोली मार दी थी

यह वही घटना थी जब लालाराम और कुसुमां की आपस में अनबन हो गई थी और आपने एक नाम सुना होगा राम आश्रय तिवारी उर्फ फक्कड़ बाबा यह वही नाम था जिसके साथ लालाराम से अनबन होने के बाद कुसुमां जुड़ गई थी उस पर एक रिटायर्ड एडीजी समेत कई अन्य पुलिस कर्मियों की हत्या का आरोप भी लगा था लेकिन जैसे-जैसे कुसुमां का जीवन चंबल के बिहड में कट रहा था वहीं वैसे ही वैसे चंबल के विहड से मन उचट भी रहा था और एक दिन आता है साल 2004 में जब कुसुमां और फक्कड़ अपनी पूरी गैंग के साथ पुलिस के सामने सरेंडर हो जाते हैं पुलिस के सामने सरेंडर होने के बाद से कुसुमां अभी तक जेल में सजा काट रही है बताया जाता है कि कुसुमां अभी जेल में ही कैद है और जेल में रहकर कैदियों को गीता रामायण का पाठ सिखाती है

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