अपराध
भारत के टॉप 8 डकैतों की कहानी
आज भी जब हम भारत के अंदर रहते हुए डकैतों की बात करते हैं तो डकैतों का नाम आने पर आज भी रूह कांपने लग जाती है। आज कहानी बताएंगे हम डकैतों की भारत के वह आठ डकैत जिन्हें लोग आज भी याद करते हैं उनकी तस्वीर आज भी दिमाग से नहीं निकल पाती तो चलिए हम आपको बताते हैं भारत के वह आठ डकैतो की कहानी सुल्ताना डाकू 20वीं सदी का पहला और सबसे ज्यादा चर्चित डकैत माना जाता है तो वही निर्भय गुर्जर चंबल घाटी का आखिरी डकैत माना जाता है।
सबसे पहले हम बात करेंगे डाकू सुल्ताना की
20वीं सदी का पहला और सबसे ज्यादा खूंखार डकैत माना जाता है सुल्तान डाकू के बारे में ज्यादा तथ्य तो नहीं मिलते लेकिन बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश के बिजनौर में आज भी एक किला मौजूद है जिसे सुल्ताना डाकू के नाम से जाना जाता है वह टूटा-फूटा किला बिजनौर जनपद के नजीबाबाद में है हालांकि कुछ लेखकों का यह भी मानना है कि सुल्ताना डाकू का वह दौर लगभग 1920 के आसपास में रहा है और उत्तर प्रदेश में सुल्ताना डाकू कहर रहा है
अब बात करेंगे हम दूसरे नंबर डकैत की
जिसका खोफ मध्य प्रदेश के जंगलों में रहा जिसे चंबल घाटी का बादशाह भी कहा जाता था नाम था मानसिंह राठौर , मानसिंह राठौर का जन्म आगरा जिले के खेड़ा गांव में हुआ था। कुख्यात डकैत मानसिंह राठौर 1955 में मध्य प्रदेश पुलिस के द्वारा एनकाउंटर के दौरान मार गिराया गया था।
यहां तक हमने आपको दो डकैतों के बारे में बताया अब बात करते हैं हम उस डकैत की जो एक भारतीय सेवा का जवान रहा और एथलीट था । जिसे दौड़ लगाने की महारथ हासिल थी। काफी बार जिसको सम्मानित किया जा चुका था। लेकिन उसने सेवानिर्वित होने के बाद वह जब अपने गांव पहुंचा था तो उसे कुछ परिस्थितियों ने डकैत बना दिया था। और वह चंबल की घाटी में दहशत का दूसरा नाम बना। नाम था पान सिंह तोमर और यह सब करते हुए पान सिंह तोमर को पुलिस ने 1981 में एक मुठभेड़ के दौरान मार गिराया था।
अभी तक हमने आपको पुरुष डकैतों के बारे में ही बताया लेकिन अब हम आपको बताएंगे चौथा डकैत की कहानी और वह डकैत पुरुष डकैत नहीं थी बल्कि वह महिला डकैत थी। जिसके नाम से अच्छे-अच्छे कांपते थे। जिसने सन 2000 में यूपी पुलिस को आत्म समर्पण कर दिया था और बाद में राजनीति में उतर गई थी। नाम था सीमा परिहार , सीमा परिहार का जन्म उत्तर प्रदेश के औरैया जनपद में हुआ था सीमा परिहार मात्र जब 13 वर्ष की थी। तब एक डकैत गैंग ने उन्हें उनके गांव से अगवा कर लिया था उठा लिया था और वह उस गैंग में रहते रहते डकैत बन गई और बाद में एक डकैत का नाम आपने सुना होगा। जिसका मैंने पहले भी जिक्र किया था निर्भय गुर्जर निर्भय गुर्जर से सीमा परिहार ने शादी कर ली थी लेकिन इन सब के साथ-साथ एक बात यहां पर यह इंटरेस्टिंग हो जाती है की सीमा परिहार ने अपना खुद का गैंग भी चलाया था और काफी लंबे समय तक सीमा ने डकैती, हत्या, अपहरण ना जाने ऐसे कितने कारनामे सीमा परिहार के रहे और बताया जाता है कि 18 साल के उस अपराधी जीवन में सीमा पर 70 लोगों की हत्या और 200 से लोगों से ज्यादा के अपहरण और30 से ज्यादा घरों में डकैती के मामले दर्ज हो चुके थे। लेकिन इन सब के बाद सीमा परिहार ने सन 2000 में यूपी पुलिस को आत्म समर्पण किया था और बाद में राजनीति में चली गई।
अब हम जिक्र करेंगे 5 वे डकैत का
जिस डकैत की हमने अभी पीछे चर्चा भी की थी जिसका बार-बार नाम आया था नाम था निर्भय गुर्जर और यह वह डकैत था जो मध्य प्रदेश की बदनाम चंबल घाटी का कुख्यात डकैत रहा। जिसके 30 साल अपराधी जीवन में 205 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए। जिसको पकड़ने के लिए सरकार को ढाई लाख रुपए तक का इनाम घोषित करना पड़ा था
अब आगे हम बात करेंगे छठे नंबर डकैत की वह जिसके नाम से लूट डकैती न जाने उसकी गैंग के द्वारा कितनी हत्याएं की गई। वह डकैत जिसे 22 जुलाई 2007 में मार दिया गया। नाम था ददुआ का खौफ अभी तक भी लोगों के दिमाग में है लोग उसके खौफ को अभी तक भी नहीं भूल पाए। करीब दो दशक तक बुंदेलखंड में आतंक का नाम रहा। डकैत शिवकुमार पटेल उर्फ ददुआ मानिकपुर और सतना के जंगलों में जिसने अपना आतंक मचाया था।
अब आगे हम आपको कहानी बताएंगे उसे डकैत की जो तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के करीब 6000 वर्ग किलोमीटर जंगली इलाके में दहशत का पर्याय रहा। या यू कहे की दहशत फैला रखी थी जिसको पकड़ने के नाम से पुलिस भी कांपती थी। उस डकैत का नाम था वीरप्पन डाकू वीरप्पन ने दक्षिण भारत के तमिलनाडु कर्नाटक और केरल के जंगली इलाकों में दहशत फैलाई थी। चंदन और हाथी के दांत की तस्करी करता था। तमिलनाडु सरकार के लिए वह एक चुनौती बन गया था। तमिलनाडु सरकार की नाक में दम करके रखा था। दो दशक से ज्यादा तक उसका आतंक रहा लेकिन 2004 में वीरप्पन को पुलिस की मुठभेड़ में मार गिराया गया था।
यहां तक हमने सात डकैतों की कहानी आपको बताई लेकिन अब फिर से हम आपको कहानी बताएंगे एक महिला डकैत की और यह कहानी लास्ट होगी अंतिम होगी। कहानी आठ नंबर डकैत की कहानी होगी। इस कहानी में एक ऐसी घटना का जिक्र भी करेंगे जो वाकई दिल दहलाने वाली घटना थी और वह महिला डकैत थी फूलन देवी फूलन देवी का नाम अक्षर आपने सुना ही होगा। गरीब घर में पैदा हुई फूलन देवी की शादी बचपन में ही कर दी गई थी। लेकिन वह अपने पति के साथ नहीं रहना चाहती थी। बताया तो यहां तक जाता है कि फूलन देवी अपने साथियों के साथ मजबूरी में अपराध की दुनिया में उतर गई थी। फूलन देवी चर्चा में ज्यादा तब आई थी जब बहमई हत्याकांड आपने सुना होगा बहमई गांव में राजपूत जाति के 22 लोगों को एक लाइन में खड़ा करके फूलन देवी ने गोली मार दी थी।
इतना ही नहीं बाद में फूलन देवी सांसद भी बनी थी
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