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कोल्हापुर जिले के हुपरी गांव की लड़की सुलक्षणा एस पाटिल ने गांव का किया नाम रोशन

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गिरजा शंकर अग्रवाल की रिपोर्ट -आज 2 इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल मे आई अंबाबाई चा उदो उदो ने महाराष्ट्र के नागपुर में विदर्भ इंटरनेशनल शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक डेब्यू और रील्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल संभाजीनगर में सर्वश्रेष्ठ लघु फिल्म (महिला) प्रथम श्रेणी का पुरस्कार जीता।

जब उनसे उनके अनुभव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा,कि उन्हें अभिनय और नृत्य का बचपन से ही बहुत शौक है। 2020 से उन्होंने मराठी फिल्मों मे जैसे – GR, लग्नकल्लोल, साथ ही वेबसिरीज – समांतर, मोक्षंत में काम किया है। लघु फिल्में अंतरमन, ग्रिहण और कई विज्ञापन में भी भूमिकाएँ निभाई हैं । मराठी सीरियल – तुझ्यात जीव रंगाला, जीव झाला येडा पीसा, प्रेमाचा गेम सेम टू सेम, मन झालं बाजिंद, राजा रानी की ग जोड़ी और सुंदरी मे भी भूमिकाएं निभाई हैं।

उन्होंने हिंदी फिल्मों मे जैसे कि- डबल गेम, द चांसलर, थर्ड अंपायर, कीप साइलेंस और मर्डर मिस्ट्री में भूमिकाओं के साथ एक सहयोगी निर्देशक के रूप में भी काम किया है। उनकी से संतलीला प्रोडक्शन प्रस्तुत लघु फिल्म आई अंबाबाई चा उदो उदो बनाने के अनुभव के बारे में बताते हुये कहाँ की। यह लघु फिल्म को बनाने में उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। किसी ने उन्हें हतोत्साहित करने की कोशिश की। किसी ने कहा कि वह एक्टिंग में अच्छी नहीं हैं।उनसे कहा गया कि वह फिल्म नहीं कर सकतीं क्योंकि वह गांव की गवार लड़की हैं।फिर सुलक्षणा पाटिल ने ये जुनून सवार की वो फिल्म अच्छी बनाके दिखाएगी और और अवार्ड भी लेके रहेगी। तो क्या उन्होंने बहुत मेहनत की। चूँकि कोई भी लघु फिल्म नहीं लिख रहा था, इसलिए उन्होंने यह कहानी खुद लिखी और महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों से अभिनेताओं को आमंत्रित करके, उन्होंने यह लघु फिल्म बनाई। मराठी हिंदी सिरियल की सीनियर अभिनेत्री हर्षा गुप्ते हैं। साथ ही रत्ना देशमुख,वैशालीताई गुंड, स्वरूप वेदक, नयना शिरसाट हैं। अभिनेता सुरेश भाऊ डोळस, राजेंद्र पोळ,सुहास वैद्य, शिवाजी मेंस्त्री, प्रविण राजगुरू, चंद्रकांत पांढरे हैं।और बालकलाकार सत्यजित नागावकर श्रीधर रावळ हर्षल पाटील हैं। इस फिल्म के कॅमेरामन और एडिटर अभिजीत बेनके हैं। और असिस्टंट डी ओ पी समृद्धी गुंड हैं।फिल्म का म्युझिक अवधूत पाटोळे इन्होंने दिया हैं। फ़िल्म के सहाय्यक निर्देशक थे प्रवीण राजगुरु, सह निर्माता सुभाष पाटील और प्रोडक्शन मैनेजर सुवर्णा पाटील हैं। शूटिंग के दौरान, विपक्ष ने बहुत सारी गतिविधियाँ कीं। अभिनेताओं को शूटिंग पर आने से रोकने की कोशिश की। डीओपी का भंडाफोड़ हुआ। लेकिन वो हारी नहीं। उन्होंने लघु फिल्म पूरी की और इसे महोत्सव में प्रस्तुत किया। उन्हें इस बात की बेहद खुशी है कि आज उन्हें दो अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। गाँव में उनकी बहुत प्रशंसा होती है। उसके पिता को भी उस पर बहुत गर्व है। उन्होंने अपना भाव व्यक्त करते हुए कहा कि अपने माता-पिता के चेहरे पर खुशी देखकर सुलक्षणा पाटिल को भी बहुत अच्छा लगता है। इस लघु फिल्म को बनाने के दौरान उन्होंने लेखक, निर्देशक, निर्माता, प्रोडक्शन, प्रोडक्शन हाउस, मेकअप आर्टिस्ट, हेयर ड्रेसर, कॉस्ट्यूम डिजाइनर, कला निर्देशक और अभिनेत्री के रूप में काम किया। माता-पिता के आशीर्वाद के बिना वे आगे नहीं बढ़ती।साईंबाबा की वो निस्सीम भक्त हैं,और उनके दादा-दादी हमेशा उनके साथ रहते हैं । इसलिए उन्होंने साईं संतलीला प्रोडक्शंस की शुरुआत की।
सुलक्षणा पाटील जा बस कुछ लोगो से इतना कहना हैं कि अगर कोई आगे बढ़ रहा है तो कम से कम अगर आप उसका समर्थन नहीं करते हैं तो उसे हतोत्साहित न करें। यह उनकी ईमानदार राय है। वे कई और फिल्मों में आपसे मिलने आएंगी। वह 3 और प्रोजेक्ट्स पर भी काम कर रहे हैं। जल्द ही आप उन्हें एक और फिल्म, एक वेबसीरीज और एक शॉर्ट फिल्म में दिखेंगी।

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