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Uttrakhand news पहली बार पांच सदस्य टीम ने भारत की भूमि से किया कैलाश पर्वत के दर्शन:- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

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उत्तराखंड(ससु.):- भारत की भूमि से ही पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन करने का शिव भक्तों का सपना आज पूरा हो गया है। नवरात्रि के पहले दिन यात्रियों के पांच सदस्यीय दल ने पिथौरागढ़ जिले में स्थित ओल्ड लिपुलेख से माउण्ट कैलाश के दर्शन किए। इस दौरान कैलाश पर्वत के दिव्य दर्शन से श्रृद्धालु भाव विभोर हो उठे।

केन्द्र सरकार से सहमति मिलने के बाद मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखण्ड सरकार ने यात्रा के सफल संचालन की पूरी तैयारी कर ली थी। कुमाऊं मण्डल विकास निगम ने इसके लिए बाकायदा एक टूर पैकेज घोषित किया है।

उत्तराखण्ड विकास परिषद की पहल पर कुमाऊं मण्डल विकास निगम ने माउण्ट कैलाश के दर्शन के लिए 5 दिवसीय टूर पैकेज बनाया है। इस पैकेज में भगवान शिव के दो अन्य धाम आदि कैलाश एवं ऊँ पर्वत के दर्शन भी सम्मिलित हैं। पैकेज के तहत यात्रियों के पहले 5 सदस्यीय ग्रुप ने आज गुरुवार को माउण्ट कैलाश के दर्शन किए।

यात्रियों के ग्रुप को बीते बुधवार को हेलीकॉप्टर के माध्यम से पिथौरागढ़ में गूंजी पर पहुँचाया गया। आज सभी यात्रियों को सड़क मार्ग द्वारा ओल्ड लिपुलेख से ॐ पर्वत और माउण्ट कैलाश के दर्शन कराये गये। कल सभी यात्रियों को जौलिकाँग से आदि कैलाश के दर्शन करवाकर गूंजी में रात्रि विश्राम करवाया जायेगा। इसके बाद 5 अक्टूबर को यात्रियों को हेलीकॉप्टर के माध्यम से वापस पिथौरागढ़ पहुँचाया जायेगा।

इस यात्रा को लेकर मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि भारत की भूमि से ही शिव भक्तों को कैलाश पर्वत के दर्शन् होना बहुत ही सुखद है। मैं इसके लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का आभार प्रकट करता हूं। हमारी सरकार सीमान्त गांवों में पर्यटन को बढ़ावा देकर स्थानीय निवासियों के पलायन की समस्या को रोकने की दिशा में कार्य कर रही है। भविष्य में इस यात्रा को और भी अधिक सुगम बनाने के लिए सुविधाओं को विकसित किया जाएगा।

कोरोना काल से पहले तक केन्द्र सरकार कुमाऊं मण्डल विकास निगम के माध्यम से कैलाश मानसरोवर यात्रा कराती थी। तब शिव भक्त लिपुपास से पैदल यात्रा कर चीन बार्डर पार कर कैलाश मानसरोवर के दर्शन करते थे। लंबे समय से शिव भक्त कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने को आतुर थे। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने भारत की भूमि से ही श्रद्धालुओं को पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन कराने का फैसला लिया है।

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