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उत्तर प्रदेश

फसल अवशेषों को किसान जलाएं नहीं, बल्कि पूसा डीकंपोजर का करें प्रयोग

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उप कृषि निदेशक शामली के निर्देशानुसार फसल अवशेष प्रबंधन अन्तर्गत सहायक विकास अधिकारी कृषि जयदेव कुमार तथा क्षेत्रीय कर्मचारीयो द्वारा क्षेत्र मे भ्रमण करते हुए फजलपुर, जसाला, काधला देहात और पंजोखरा के किसानो को पुसा डीकम्पोजर कैप्सूल वितरित किए। किसानो को पुसा डीकम्पोजर कैप्सूल के घोल बनाने व प्रयोग की विधि बतायी। व बताया कि पूसा डीकंपोजर कैप्सूल से फसल अवशेष प्रबंधन का कल्चर तैयार करने के बाद 10 लीटर डीकंपोजर घोल को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़का जाता है।इसका छिड़काव करने से फसल का कचरा जैविक खाद में बदल जाता है और रसायनिक उर्वरकों के कारण बिगड़ती की मिट्टी दुर्दशा को भी सुधार सकते हैं।

फसल के कचरे पर डीकंपोजर का छिड़काव करने के बाद हल्की सिंचाई और खेतों की जुताई भी करते हैं, ताकि ये ठीक तरह से खाद में बदल जाए।पूसा डीकंपोजर की मदद से फसल अवशेष प्रबंधन, खाद व उर्वरक प्रबंधन होता है। तथा यह फसल मे कीट-रोग नियंत्रण प्रबंधन भी कार्य करता हैं। इससे रसायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर बढ़ती निर्भरता को भी कम किया जा सकता है। यदि किसी अन्य किसान को भी पुसा डीकम्पोजर कैप्सूल की आवश्यकता है तो वह कृषि विभाग के क्षेत्रीय कर्मचारी अथवा राजकीय बीज भण्डार विकास खण्ड परिसर कांधला से नि: शुल्क प्राप्त कर सकता है। साथ ही किसानो से फसल अवशेष ना जलाने की अपील की है तथा एन जी टी के दिशानिर्देश के बारे मे बताया।

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